प्रेम वो है जो कभी ख़ुशी की लहरों पर चलती है
तो कभी आंसुओं की धर पर,
प्रेम वो है जो कभी आँचल के नीचे पलती है ,
तो कभी मौत के कगार पर,
प्रेम वो है जो कभी नदियों की धार सी चलती है,
तो कभी हवाओं के जैसे,
प्रेम वो है जो कभी दर्द बन जाती है,
तो कभी दवाओं के जैसे,
प्रेम वो है जो कभी अश्क के शैलाब में भी
जीने को मजबूर कर देती है,
प्रेम वो है जो कभी खुशहाल में भी,
ज़हर पीने को मजबूर कर देती है,
प्रेम वो है जो कभी बंधी होती है प्यार में कसमों से,
तो कहीं नफरतों की ज़ंजीर से,
प्रेम वो है जो कभी हंसती है अपनी बेबसी पर
तो कभी हंसती है अपनी तकदीर पर,
प्रेम वो है जो कभी जीने का सहारा देती है,
प्रेम वो है जो कभी मंझधार में किनारा देती है..!